संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई दोहा सहित
जदपि कही कपि अति हित बानी। भगति बिबेक बिरति नय सानी॥ बोला बिहसि महा अभिमानी। मिला हमहि कपि गुर बड़ ग्यानी॥1॥
यद्यपि हनुमान्जी ने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और नीति से सनी हुई बहुत ही हित की वाणी कही, तो भी वह महान् अभिमानी रावण बहुत हँसकर (व्यंग्य से) बोला कि हमें यह बंदर बड़ा ज्ञानी गुरु मिला!॥1॥
Although Hanumanji spoke very beneficial words full of devotion, knowledge, renunciation and morality, still that great arrogant Ravana said laughingly (sarcastically) that we have found a very knowledgeable teacher in this monkey!॥1॥
मृत्यु निकट आई खल तोही। लागेसि अधम सिखावन मोही॥ उलटा होइहि कह हनुमाना। मतिभ्रम तोर प्रगट मैं जाना॥2॥
रे दुष्ट! तेरी मृत्यु निकट आ गई है। अधम! मुझे शिक्षा देने चला है। हनुमान्जी ने कहा- इससे उलटा ही होगा (अर्थात् मृत्यु तेरी निकट आई है, मेरी नहीं)। यह तेरा मतिभ्रम (बुद्धि का फेर) है, मैंने प्रत्यक्ष जान लिया है॥2॥
Oh wicked! Your death is near. Wretched! He has come to teach me. Hanumanji said – The opposite will happen (meaning death has come near you, not me). This is your hallucination, I have come to know directly.॥2॥
सुनि कपि बचन बहुत खिसिआना। बेगि न हरहु मूढ़ कर प्राना॥ सुनत निसाचर मारन धाए। सचिवन्ह सहित बिभीषनु आए॥3॥
हनुमान्जी के वचन सुनकर वह बहुत ही कुपित हो गया। (और बोला-) अरे! इस मूर्ख का प्राण शीघ्र ही क्यों नहीं हर लेते? सुनते ही राक्षस उन्हें मारने दौड़े उसी समय मंत्रियों के साथ विभीषणजी वहाँ आ पहुँचे॥3॥
He became very angry after hearing Hanumanji’s words. (And said-) Hey! Why don’t you take this fool’s life soon? As soon as the demons heard this, they ran to kill them and at the same time, Vibhishanji reached there along with his ministers.3॥
नाइ सीस करि बिनय बहूता। नीति बिरोध न मारिअ दूता॥ आन दंड कछु करिअ गोसाँई। सबहीं कहा मंत्र भल भाई॥4॥
उन्होंने सिर नवाकर और बहुत विनय करके रावण से कहा कि दूत को मारना नहीं चाहिए, यह नीति के विरुद्ध है। हे गोसाईं। कोई दूसरा दंड दिया जाए। सबने कहा- भाई! यह सलाह उत्तम है॥4॥
He bowed his head and very politely told Ravana that the messenger should not be killed, it is against the policy. Hey Gosain. Some other punishment should be given. Everyone said- Brother! This advice is excellent॥4॥
सुनत बिहसि बोला दसकंधर। अंग भंग करि पठइअ बंदर॥5॥
यह सुनते ही रावण हँसकर बोला- अच्छा तो, बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाए॥5॥
On hearing this, Ravana laughed and said – Well, let the monkey be sent back with its limbs mutilated.॥5॥
दोहा
कपि कें ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ। तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाइ॥24॥
मैं सबको समझाकर कहता हूँ कि बंदर की ममता पूँछ पर होती है। अतः तेल में कपड़ा डुबोकर उसे इसकी पूँछ में बाँधकर फिर आग लगा दो॥24॥
I explain to everyone that a monkey’s love is for its tail. Therefore, dip a cloth in oil, tie it around its tail and then set it on fire.24॥