Skip to content
Sunderkand Paath Chopai Part 13

Sunderkand Paath Chopai Part 13 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 13

तब देखी मुद्रिका मनोहर। राम नाम अंकित अति सुंदर॥ चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥1॥ तब उन्होंने राम-नाम से अंकित अत्यंत सुंदर एवं… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 13 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 13

Sunderkand Audio Download | सुंदरकांड ऑडियो डाउनलोड

हिन्दू धरोहर में, सुंदरकांड एक विशेष स्थान रखता है, जो रामायण के महाकाव्य का एक अध्याय है, जिसमें भगवान हनुमान ने श्रीराम की पत्नी सीता… Read More »Sunderkand Audio Download | सुंदरकांड ऑडियो डाउनलोड

Sunderkand Paath Chopai Part 12 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 12

त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥ तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई॥1॥ सीताजी हाथ जोड़कर त्रिजटा… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 12 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 12

Sunderkand Paath Chopai Part 11 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 11

त्रिजटा नाम राच्छसी एका। राम चरन रति निपुन बिबेका॥ सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना। सीतहि सेइ करहु हित अपना॥1॥ उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी।… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 11 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 11

Sunderkand Paath Chopai Part 10 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 10

सीता तैं मम कृत अपमाना। कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना॥ नाहिं त सपदि मानु मम बानी। सुमुखि होति न त जीवन हानी॥1॥ सीता! तूने मेरा… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 10 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 10

Sunderkand Paath Chopai Part 9 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 9

तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥ तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा॥1॥ हनुमान्‌जी वृक्ष के पत्तों में… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 9 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 9

Sunderkand Paath Chopai Part 8 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 8

जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥ एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥1॥ जो जानते हुए भी ऐसे स्वामी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 8 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 8

Sunderkand Paath Chopai Part 7 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 7

सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥ तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥1॥ (विभीषणजी ने कहा-) हे पवनपुत्र! मेरी रहनी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 7 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 7

Sunderkand Paath Chopai Part 6 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 6

लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा॥ मन महुँ तरक करैं कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा॥1॥ लंका तो राक्षसों के समूह का… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 6 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 6

Sunderkand Paath Chopai Part 5 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 5

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥ अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 5 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 5

Exit mobile version