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Sunderkand chaupai

Sunderkand Paath Chopai Part 40

Sunderkand Paath Chopai Part 40 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 40

माल्यवंत अति सचिव सयाना। तासु बचन सुनि अति सुख माना॥ तात अनुज तव नीति बिभूषन। सो उर धरहु जो कहत बिभीषन॥1॥ माल्यवान्‌ नाम का एक… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 40 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 40

Sunderkand Paath Chopai Part 39

Sunderkand Paath Chopai Part 39 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 39

तात राम नहिं नर भूपाला। भुवनेस्वर कालहु कर काला॥ ब्रह्म अनामय अज भगवंता। ब्यापक अजित अनादि अनंता॥1॥ हे तात! राम मनुष्यों के ही राजा नहीं… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 39 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 39

Sunderkand Paath Chopai Part 38

Sunderkand Paath Chopai Part 38 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 38

सोइ रावन कहुँ बनी सहाई। अस्तुति करहिं सुनाइ सुनाई॥ अवसर जानि बिभीषनु आवा। भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा॥1॥ रावण के लिए भी वही सहायता (संयोग)… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 38 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 38

Sunderkand Paath Chopai Part 37

Sunderkand Paath Chopai Part 37 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 37

श्रवन सुनी सठ ता करि बानी। बिहसा जगत बिदित अभिमानी॥ सभय सुभाउ नारि कर साचा। मंगल महुँ भय मन अति काचा॥1॥ मूर्ख और जगत प्रसिद्ध… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 37 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 37

Sunderkand Paath Chopai Part 36

Sunderkand Paath Chopai Part 36 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 36

उहाँ निसाचर रहहिं ससंका। जब तें जारि गयउ कपि लंका॥ निज निज गृहँ सब करहिं बिचारा। नहिं निसिचर कुल केर उबारा।1॥ वहाँ (लंका में) जब… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 36 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 36

Sunderkand Paath Chopai Part 35

Sunderkand Paath Chopai Part 35 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 35

प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा। गर्जहिं भालु महाबल कीसा॥ देखी राम सकल कपि सेना। चितइ कृपा करि राजिव नैना॥1॥ वे प्रभु के चरण कमलों में… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 35 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 35

Sunderkand Paath Chopai Part 34

Sunderkand Paath Chopai Part 34 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 34

नाथ भगति अति सुखदायनी। देहु कृपा करि अनपायनी॥ सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी। एवमस्तु तब कहेउ भवानी॥1॥ हे नाथ! मुझे अत्यंत सुख देने वाली… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 34 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 34

Sunderkand Paath Chopai Part 33

Sunderkand Paath Chopai Part 33 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 33

बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा॥ प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा। सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा॥1॥ प्रभु उनको बार-बार… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 33 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 33

Sunderkand Paath Chopai Part 32

Sunderkand Paath Chopai Part 32 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 32

सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना। भरि आए जल राजिव नयना॥ बचन कायँ मन मम गति जाही। सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही॥1॥ सीताजी का दुःख… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 32 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 32

Sunderkand Paath Chopai Part 31

Sunderkand Paath Chopai Part 31 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 31

चलत मोहि चूड़ामनि दीन्हीं। रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही॥ नाथ जुगल लोचन भरि बारी। बचन कहे कछु जनककुमारी॥1॥ चलते समय उन्होंने मुझे चूड़ामणि (उतारकर) दी।… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 31 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 31