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Anjani

Sunderkand Paath Chaupai Part 50

Sunderkand Paath Chaupai Part 50 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 50

अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना। ते नर पसु बिनु पूँछ बिषाना॥ निज जन जानि ताहि अपनावा। प्रभु सुभाव कपि कुल मन भावा॥1॥ ऐसे परम… Read More »Sunderkand Paath Chaupai Part 50 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 50

Sunderkand Paath Chopai Part 49

Sunderkand Paath Chopai Part 49 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 49

सुनु लंकेस सकल गुन तोरें। तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें॥ राम बचन सुनि बानर जूथा। सकल कहहिं जय कृपा बरूथा॥1॥ हे लंकापति! सुनो, तुम्हारे अंदर… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 49 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 49

Sunderkand Paath Chopai Part 48

Sunderkand Paath Chopai Part 48 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 48

सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ। जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ॥ जौं नर होइ चराचर द्रोही। आवै सभय सरन तकि मोही॥1॥ (श्री रामजी ने कहा-) हे सखा!… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 48 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 48

Sunderkand Paath Chopai Part 47

Sunderkand Paath Chopai Part 47 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 47

तब लगि हृदयँ बसत खल नाना। लोभ मोह मच्छर मद माना॥ जब लगि उर न बसत रघुनाथा। धरें चाप सायक कटि भाथा॥1॥ लोभ, मोह, मत्सर… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 47 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 47

Sunderkand Paath Chaupai Part 46

Sunderkand Paath Chaupai Part 46 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 46

अस कहि करत दंडवत देखा। तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा॥ दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा। भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा॥1॥ प्रभु ने उन्हें ऐसा… Read More »Sunderkand Paath Chaupai Part 46 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 46

Sunderkand Paath Chaupai Part 45

Sunderkand Paath Chaupai Part 45 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 45

सादर तेहि आगें करि बानर। चले जहाँ रघुपति करुनाकर॥ दूरिहि ते देखे द्वौ भ्राता। नयनानंद दान के दाता॥1॥ विभीषणजी को आदर सहित आगे करके वानर… Read More »Sunderkand Paath Chaupai Part 45 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 45

Sunderkand Paath Chopai Part 44

Sunderkand Paath Chopai Part 44 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू। आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥1॥ जिसे करोड़ों ब्राह्मणों की हत्या… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 44 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 44

Sunderkand Paath Chaupai Part 43

Sunderkand Paath Chaupai Part 43 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 43

ऐहि बिधि करत सप्रेम बिचारा। आयउ सपदि सिंदु एहिं पारा॥ कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा। जाना कोउ रिपु दूत बिसेषा॥1॥ इस प्रकार प्रेमसहित विचार करते हुए… Read More »Sunderkand Paath Chaupai Part 43 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 43

Sunderkand Paath Chopai Part 42

Sunderkand Paath Chopai Part 42 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 42

अस कहि चला बिभीषनु जबहीं। आयू हीन भए सब तबहीं॥ साधु अवग्या तुरत भवानी। कर कल्यान अखिल कै हानी॥1॥ ऐसा कहकर विभीषणजी ज्यों ही चले,… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 42 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 42

Sunderkand Paath Chopai Part 41

Sunderkand Paath Chopai Part 41 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी। कही बिभीषन नीति बखानी॥ सुनत दसानन उठा रिसाई। खल तोहिं निकट मृत्यु अब आई॥1॥ विभीषण ने पंडितों, पुराणों और वेदों… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 41 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 41