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Sunderkand ki puja vidhi: सुंदरकांड की पूजा विधि

Sunderkand ki puja vidhi

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी की आराधना सदियों से प्रचलित है। संकटमोचन, बल और बुद्धि के दाता माने जाने वाले हनुमान जी के भक्तों की संख्या असंख्य है। इन भक्तों के लिए सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand ka paath) और पूजा करना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है। सुंदरकांड (Sunderkand), रामायण (Ramayan) का ही एक महत्वपूर्ण अंश है, जिसमें वीर हनुमान के पराक्रम, सीता माता की खोज और लंका दहन का मनोरम वर्णन मिलता है।

इस लेख में, हम आपको सुंदरकांड की पूजा (Sunderkand ki puja vidhi) विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे आप हनुमान जी का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन में सुख-शांति और सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

पूजा की तैयारी (Preparing for the Puja):

शुभ मुहूर्त का चयन:

सुंदरकांड का पाठ(Sunderkand ka paath) करना किसी भी दिन फलदायी होता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को इसे करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। सुबह का समय, ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे) सबसे प्रभावी होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस समय ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा सबसे अधिक होती है, जो आपके पूजा अनुष्ठान को और भी शक्तिशाली बनाती है।

मंदिर या घर में शुभ स्थान बनाएं:

पूजा के लिए पूर्व दिशा की ओर एक चौकी लगाएं और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। यह दिशा शुभ मानी जाती है और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देती है। पूजा स्थान को स्वच्छ और सुगंधित रखें। आप फूलों या अगरबत्ती की सुगंध का उपयोग कर सकते हैं।

पूजा सामग्री एकत्रित करें (sunderkand ki puja samagri):

  • हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर (ध्यान रहे कि मूर्ति स्नान कराई हुई और साफ-सुथरी हो)
  • लाल सिंदूर, रोली, चावल
  • दीपक और शुद्ध घी
  • धूपबत्ती
  • पुष्प (गुलाब, चंपा आदि)
  • फल और मिठाई (बेसन के लड्डू उत्तम माने जाते हैं)
  • रामचरित मानस (सुंदरकांड वाला भाग)
  • गंगाजल या शुद्ध जल

सुंदरकांड की पूजा विधि (Sunderkand ki puja vidhi):

  1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्नान मन और शरीर दोनों को शुद्ध करके पूजा के लिए तैयार करता है।
  2. पूजा स्थान पर बैठें और अपने मन को शांत करें। कुछ गहरी सांस लेकर अपने आस-पास की सभी चिंताओं से मुक्त हो जाएं।
  3. राम दरबार या हनुमान जी की मूर्ति/तस्वीर को स्थापित करें। आप मूर्ति के पीछे एक चौकी पर राम दरबार की तस्वीर भी रख सकते हैं।
  4. दीपक जलाएं और मूर्ति/तस्वीर पर तिलक लगाएं। तिलक लगाने से भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।
  5. धूपबत्ती जलाएं और पुष्प अर्पित करें। धूपबत्ती और पुष्प सुगंध भगवान को प्रसन्न करती है।
  6. जल का छींटा अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर छिड़कें। जल शुद्धि का प्रतीक है और पूजा स्थान को पवित्र बनाता है।
  7. मंत्रों का उच्चारण करें:
    • “ॐ श्री हनुमते नमः”
    • “ॐ महावीराय सुचिरायुधाय धर्मकृते हनुमते स्वस्तितम् देहि पापमोचनं देहि देहि वज्रदेहम् सुगृहीतम च।”
    • हनुमान चालीसा का पाठ करें
  8. हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करने वाला सुंदर भजन है। इसका पाठ करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है।

सुंदरकांड का पाठ करें (Suunderkand ka paath kare):

अब सुंदरकांड के पाठ का मुख्य भाग आता है। आप धीरे-धीरे पूरा सुंदरकांड पढ़ सकते हैं या किसी विशेष अध्याय का चयन कर सकते हैं। ध्यानपूर्वक पढ़ने और हनुमान जी के चरित्र का चिंतन करने से अधिक लाभ मिलता है। सुंदरकांड के 68 छंदों को 9 खंडों में विभाजित किया गया है। आप अपनी क्षमता और समय के अनुसार किसी भी खंड का चयन कर सकते हैं।

नियमित पाठ के लाभ:

सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand ka paath) करना न केवल भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है, बल्कि यह आपके जीवन में कई सकारात्मक प्रभाव भी ला सकता है। नियमित पाठ के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:

  • मन की शांति: सुंदरकांड के पाठ से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। हनुमान जी की भक्ति के माध्यम से आप जीवन की चिंताओं और तनावों से मुक्त हो सकते हैं।
  • संकटमोचन: भगवान हनुमान को संकटमोचन कहा जाता है। नियमित पाठ करने से आपके जीवन के संकट दूर होते हैं और कठिन परिस्थितियों में आपको शक्ति और मार्गदर्शन मिलता है।
  • मनोकामना पूर्ति: यदि आप सच्चे मन से भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हैं तो आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। सुंदरकांड का पाठ आपके जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ: सुंदरकांड के पाठ से ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य लाभ होता है। इसके अलावा, भगवान हनुमान की कृपा से शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: माना जाता है कि नियमित सुंदरकांड पाठ (Sunderkand paath) करने से अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर यह पाठ एक महत्वपूर्ण कदम है।


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अतिरिक्त सुझाव:

  • पूजा के दौरान सात्विकता बनाए रखें। मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें।
  • पूजा के दौरान मन भटकने से बचाएं। पूर्ण एकाग्रता से भगवान का ध्यान करें।
  • अगर आप सुंदरकांड का पूरा पाठ करने में असमर्थ हैं, तो कम से कम 6 छंदों का पाठ रोजाना करें।
  • पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें और नियमित रूप से हवादार बनाएं।
  • पूजा के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करें।

उम्मीद है कि इस लेख ने आपको सुंदरकांड की पूजा विधि (Sunderkand ki puja vidhi) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है। भगवान हनुमान जी की कृपा से आपका जीवन सुखमय और सफल हो, यह हमारी कामना है।

कृपया ध्यान दें कि विभिन्न क्षेत्रों में पूजा की परंपराओं में थोड़ा अंतर हो सकता है। आप अपने गुरु या किसी अनुभवी पुजारी से सलाह लेकर अपनी पूजा विधि को अनुकूलित कर सकते हैं।

सुंदरकांड का पाठ (Sunderkand ka path) करना एक आध्यात्मिक अनुभव है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से आप हनुमान जी से जुड़ाव महसूस करेंगे और उनके आशीर्वाद का लाभ प्राप्त करेंगे।

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