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Sunderkand Paath Chopai Part 21 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 21

Sunderkand Paath Chopai Part 21

कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥ की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही॥1॥

लंकापति रावण ने कहा- रे वानर! तू कौन है? किसके बल पर तूने वन को उजाड़कर नष्ट कर डाला? क्या तूने कभी मुझे (मेरा नाम और यश) कानों से नहीं सुना? रे शठ! मैं तुझे अत्यंत निःशंख देख रहा हूँ॥1॥

Lanka’s ruler Ravana said- Oh monkey! who are you? On whose strength did you destroy the forest? Have you never heard me (my name and fame) with your ears? Hey Shath! I am looking at you with utmost carelessness॥1॥

मारे निसिचर केहिं अपराधा। कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा॥ सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचति माया॥2॥

तूने किस अपराध से राक्षसों को मारा? रे मूर्ख! बता, क्या तुझे प्राण जाने का भय नहीं है? (हनुमान्‌जी ने कहा-) हे रावण! सुन, जिनका बल पाकर माया संपूर्ण ब्रह्मांडों के समूहों की रचना करती है,॥2॥

By what crime did you kill the demons? You fool! Tell me, aren’t you afraid of losing your life? (Hanumanji said-) Oh Ravana! Listen, with whose power Maya creates groups of entire universes,॥2॥

जाकें बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा॥ जा बल सीस धरत सहसानन। अंडकोस समेत गिरि कानन॥3॥

जिनके बल से हे दशशीश! ब्रह्मा, विष्णु, महेश (क्रमशः) सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करते हैं, जिनके बल से सहस्रमुख (फणों) वाले शेषजी पर्वत और वनसहित समस्त ब्रह्मांड को सिर पर धारण करते हैं,॥3॥

By whose power O Dashashish! Brahma, Vishnu, Mahesh (respectively) create, maintain and destroy the universe, with the power of which the thousand-headed Sheshji holds the entire universe including mountains and forests on his head,॥3॥

धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता॥ हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा॥4॥

जो देवताओं की रक्षा के लिए नाना प्रकार की देह धारण करते हैं और जो तुम्हारे जैसे मूर्खों को शिक्षा देने वाले हैं, जिन्होंने शिवजी के कठोर धनुष को तोड़ डाला और उसी के साथ राजाओं के समूह का गर्व चूर्ण कर दिया॥4॥

Who assume different types of bodies to protect the Gods and who teach fools like you, who broke Lord Shiva’s tough bow and with it shattered the pride of a group of kings.॥4॥

खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली॥5॥

जिन्होंने खर, दूषण, त्रिशिरा और बालि को मार डाला, जो सब के सब अतुलनीय बलवान्‌ थे,॥5॥

Who killed Khar, Dushan, Trishira and Bali, all of whom were incomparably strong,॥5॥

दोहा 

जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि। तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि॥21॥

जिनके लेशमात्र बल से तुमने समस्त चराचर जगत्‌ को जीत लिया और जिनकी प्रिय पत्नी को तुम (चोरी से) हर लाए हो, मैं उन्हीं का दूत हूँ॥21॥

With whose slightest force you have conquered the entire living world and whose beloved wife you have taken away (by theft), I am the messenger of them only.॥21॥

https://sunderkandpaath.com/wp-content/uploads/2023/12/sundarkand21.mp3

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>>>Sunderkand Paath Chopai Part 22<<<

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