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Sunderkand Paath Chopai Part 29 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 29

Sunderkand Paath Chopai Part 29

जौं न होति सीता सुधि पाई। मधुबन के फल सकहिं कि काई॥ एहि बिधि मन बिचार कर राजा। आइ गए कपि सहित समाजा॥1॥

यदि सीताजी की खबर न पाई होती तो क्या वे मधुवन के फल खा सकते थे? इस प्रकार राजा सुग्रीव मन में विचार कर ही रहे थे कि समाज सहित वानर आ गए॥1॥

If they had not received the news of Sitaji, would they have been able to eat the fruits of Madhuvan? While King Sugriva was thinking in his mind, the monkeys along with the society came.॥1॥

आइ सबन्हि नावा पद सीसा। मिलेउ सबन्हि अति प्रेम कपीसा॥ पूँछी कुसल कुसल पद देखी। राम कृपाँ भा काजु बिसेषी॥2॥

(सबने आकर सुग्रीव के चरणों में सिर नवाया। कपिराज सुग्रीव सभी से बड़े प्रेम के साथ मिले। उन्होंने कुशल पूछी, (तब वानरों ने उत्तर दिया-) आपके चरणों के दर्शन से सब कुशल है। श्री रामजी की कृपा से विशेष कार्य हुआ (कार्य में विशेष सफलता हुई है)॥2॥

(Everyone came and bowed their heads at the feet of Sugriva. Kapiraj Sugriva met everyone with great love. He asked about well being, (Then the monkeys replied -) Everyone is well after seeing your feet. By the grace of Shri Ramji a special work was done ( There has been special success in the work)॥2॥

नाथ काजु कीन्हेउ हनुमाना। राखे सकल कपिन्ह के प्राना॥ सुनि सुग्रीव बहुरि तेहि मिलेऊ कपिन्ह सहित रघुपति पहिं चलेऊ॥3॥

हे नाथ! हनुमान ने सब कार्य किया और सब वानरों के प्राण बचा लिए। यह सुनकर सुग्रीवजी हनुमान्‌जी से फिर मिले और सब वानरों समेत श्री रघुनाथजी के पास चले॥3॥

Hey Nath! Hanuman did all the work and saved the lives of all the monkeys. Hearing this, Sugrivaji met Hanumanji again and went to Shri Raghunathji along with all the monkeys.॥3॥

राम कपिन्ह जब आवत देखा। किएँ काजु मन हरष बिसेषा॥ फटिक सिला बैठे द्वौ भाई। परे सकल कपि चरनन्हि जाई॥4॥

श्री रामजी ने जब वानरों को कार्य किए हुए आते देखा तब उनके मन में विशेष हर्ष हुआ। दोनों भाई स्फटिक शिला पर बैठे थे। सब वानर जाकर उनके चरणों पर गिर पड़े॥4॥

When Shri Ramji saw the monkeys coming after doing the work, he felt very happy. Both the brothers were sitting on the crystal rock. All the monkeys went and fell at his feet.॥4॥

दोहा 

प्रीति सहित सब भेंटे रघुपति करुना पुंज॥ पूछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज॥29॥

दया की राशि श्री रघुनाथजी सबसे प्रेम सहित गले लगकर मिले और कुशल पूछी। (वानरों ने कहा-) हे नाथ! आपके चरण कमलों के दर्शन पाने से अब कुशल है॥29॥

Due to his kindness, Shri Raghunathji hugged everyone with love and asked about his well-being. (The monkeys said-) O Lord! Now I am well after seeing your lotus feet॥29॥

https://sunderkandpaath.com/wp-content/uploads/2023/12/sundarkand29.mp3

>>>Sunderkand Paath Chopai Part 28<<<

>>>Sunderkand Paath Chopai Part 30<<<

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