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Sunderkand Paath Chopai Part 41 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 41

Sunderkand Paath Chopai Part 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी। कही बिभीषन नीति बखानी॥ सुनत दसानन उठा रिसाई। खल तोहिं निकट मृत्यु अब आई॥1॥

विभीषण ने पंडितों, पुराणों और वेदों द्वारा सम्मत (अनुमोदित) वाणी से नीति बखानकर कही। पर उसे सुनते ही रावण क्रोधित होकर उठा और बोला कि रे दुष्ट! अब मृत्यु तेरे निकट आ गई है!॥1॥

Vibhishan spoke the policy in a voice approved by the pundits, Puranas and Vedas. But on hearing this, Ravana got up in anger and said, O wicked one! Now death has come near you!॥1॥

जिअसि सदा सठ मोर जिआवा। रिपु कर पच्छ मूढ़ तोहि भावा॥ कहसि न खल अस को जग माहीं। भुज बल जाहि जिता मैं नाहीं॥2॥

अरे मूर्ख! तू जीता तो है सदा मेरा जिलाया हुआ (अर्थात्‌ मेरे ही अन्न से पल रहा है), पर हे मूढ़! पक्ष तुझे शत्रु का ही अच्छा लगता है। अरे दुष्ट! बता न, जगत्‌ में ऐसा कौन है जिसे मैंने अपनी भुजाओं के बल से न जीता हो?॥2॥

Hey idiot! You are always alive, I have kept you alive (that is, you are living on my food), but you fool! You like the enemy’s side only. Oh wicked! Tell me, who is there in the world whom I have not won with the strength of my arms?॥2॥

मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती। सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती॥ अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा। अनुज गहे पद बारहिं बारा॥3॥

मेरे नगर में रहकर प्रेम करता है तपस्वियों पर। मूर्ख! उन्हीं से जा मिल और उन्हीं को नीति बता। ऐसा कहकर रावण ने उन्हें लात मारी, परंतु छोटे भाई विभीषण ने (मारने पर भी) बार-बार उसके चरण ही पकड़े॥3॥

Living in my city, he loves ascetics. Idiot Go meet them and tell them the policy. Saying this, Ravana kicked him, but younger brother Vibhishana repeatedly held his feet (even after hitting him)॥3॥

उमा संत कइ इहइ बड़ाई। मंद करत जो करइ भलाई॥ तुम्ह पितु सरिस भलेहिं मोहि मारा। रामु भजें हित नाथ तुम्हारा॥4॥

(शिवजी कहते हैं-) हे उमा! संत की यही बड़ाई (महिमा) है कि वे बुराई करने पर भी (बुराई करने वाले की) भलाई ही करते हैं। (विभीषणजी ने कहा-) आप मेरे पिता के समान हैं, मुझे मारा सो तो अच्छा ही किया, परंतु हे नाथ! आपका भला श्री रामजी को भजने में ही है॥4॥

(Shivji says-) Hey Uma! The greatness (glory) of a saint is that even after doing evil, he does good (to the evildoer). (Vibhishanaji said-) You are like my father, you did the right thing by killing me, but oh Lord! It is good for you only to worship Shri Ramji.॥4॥

सचिव संग लै नभ पथ गयऊ। सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ॥5॥

(इतना कहकर) विभीषण अपने मंत्रियों को साथ लेकर आकाश मार्ग में गए और सबको सुनाकर वे ऐसा कहने लगे-॥5॥

(Having said this) Vibhishana took his ministers along with him to the sky and after telling it to everyone, he started saying – ॥5॥

दोहा 

रामु सत्यसंकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि। मैं रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि॥41॥

श्री रामजी सत्य संकल्प एवं (सर्वसमर्थ) प्रभु हैं और (हे रावण) तुम्हारी सभा काल के वश है। अतः मैं अब श्री रघुवीर की शरण जाता हूँ, मुझे दोष न देना॥41॥

Shri Ramji is a true resolution and (all-powerful) Lord and (O Ravana) your meeting is under the control of time. Therefore, I now seek refuge in Shri Raghuveer, don’t blame me॥41॥

https://sunderkandpaath.com/wp-content/uploads/2023/12/sundarkand41.mp3

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