Skip to content

Sunderkand chaupai

Sunderkand Paath Chopai Part 20

Sunderkand Paath Chopai Part 20 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 20

ब्रह्मबान कपि कहुँ तेहिं मारा। परतिहुँ बार कटकु संघारा॥ तेहिं देखा कपि मुरुछित भयऊ। नागपास बाँधेसि लै गयऊ॥1॥ उसने हनुमान्‌जी को ब्रह्मबाण मारा, (जिसके लगते… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 20 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 20

Sunderkand Paath Chopai Part 19

Sunderkand Paath Chopai Part 19 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 19

सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना॥ मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥1॥ पुत्र का वध सुनकर रावण क्रोधित हो… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 19 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 19

Sunderkand Paath Chopai Part 18

Sunderkand Paath Chopai Part 18 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 18

चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा। फल खाएसि तरु तोरैं लागा॥ रहे तहाँ बहु भट रखवारे। कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे॥1॥ वे सीताजी को सिर नवाकर… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 18 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 18

Sunderkand Paath Chopai Part 17

Sunderkand Paath Chopai Part 17 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 17

मन संतोष सुनत कपि बानी। भगति प्रताप तेज बल सानी॥ आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना॥1॥ भक्ति, प्रताप, तेज और बल… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 17 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 17

Sunderkand Paath Chopai Part 16

Sunderkand Paath Chopai Part 16 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 16

जौं रघुबीर होति सुधि पाई। करते नहिं बिलंबु रघुराई॥ राम बान रबि उएँ जानकी। तम बरुथ कहँ जातुधान की॥1॥ श्री रामचंद्रजी ने यदि खबर पाई… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 16 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 16

Sunderkand Paath Chopai Part 15

Sunderkand Paath Chopai Part 15 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 15

कहेउ राम बियोग तव सीता। मो कहुँ सकल भए बिपरीता॥ नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू। कालनिसा सम निसि ससि भानू॥1॥ (हनुमान्‌जी बोले-) श्री रामचंद्रजी ने… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 15 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 15

Sunderkand Paath Chopai Part 14

Sunderkand Paath Chopai Part 14 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 14

हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी। सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी॥ बूड़त बिरह जलधि हनुमाना। भयहु तात मो कहुँ जलजाना॥1॥ भगवान का जन (सेवक) जानकर अत्यंत गाढ़ी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 14 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 14

Sunderkand Paath Chopai Part 13

Sunderkand Paath Chopai Part 13 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 13

तब देखी मुद्रिका मनोहर। राम नाम अंकित अति सुंदर॥ चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥1॥ तब उन्होंने राम-नाम से अंकित अत्यंत सुंदर एवं… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 13 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 13

Sunderkand Paath Chopai Part 12

Sunderkand Paath Chopai Part 12 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 12

त्रिजटा सन बोलीं कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी॥ तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसह बिरहु अब नहिं सहि जाई॥1॥ सीताजी हाथ जोड़कर त्रिजटा… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 12 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 12

Sunderkand Paath Chopai Part 11

Sunderkand Paath Chopai Part 11 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 11

त्रिजटा नाम राच्छसी एका। राम चरन रति निपुन बिबेका॥ सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना। सीतहि सेइ करहु हित अपना॥1॥ उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी।… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 11 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 11