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Sunderkand chaupai

Sunderkand Paath Chopai Part 10

Sunderkand Paath Chopai Part 10 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 10

सीता तैं मम कृत अपमाना। कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना॥ नाहिं त सपदि मानु मम बानी। सुमुखि होति न त जीवन हानी॥1॥ सीता! तूने मेरा… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 10 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 10

Sunderkand Paath Chopai Part 9

Sunderkand Paath Chopai Part 9 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 9

तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥ तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा॥1॥ हनुमान्‌जी वृक्ष के पत्तों में… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 9 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 9

Sunderkand Paath Chopai Part 8

Sunderkand Paath Chopai Part 8 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 8

जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥ एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥1॥ जो जानते हुए भी ऐसे स्वामी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 8 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 8

Sunderkand Paath Chopai Part 7

Sunderkand Paath Chopai Part 7 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 7

सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥ तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥1॥ (विभीषणजी ने कहा-) हे पवनपुत्र! मेरी रहनी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 7 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 7

Sunderkand Paath Chopai Part 6

Sunderkand Paath Chopai Part 6 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 6

लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा॥ मन महुँ तरक करैं कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा॥1॥ लंका तो राक्षसों के समूह का… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 6 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 6

Sunderkand Paath Chopai Part 5

Sunderkand Paath Chopai Part 5 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 5

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥1॥ अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 5 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 5

Sunderkand Paath Chopai Part 4 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 4

Sunderkand Paath Chopai Part 4 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 4

मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥ नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1॥ हनुमान्‌जी मच्छड़ के समान (छोटा सा) रूप… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 4 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 4

Sunderkand Paath Chhand | सुंदरकांड पाठ छंद

सुंदरकांड के छंद भावार्थ सहित

कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना। चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥ गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।… Read More »सुंदरकांड के छंद भावार्थ सहित

Sunderkand Paath Chopai Part 3

Sunderkand Paath Chopai Part 3 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 3

निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई। करि माया नभु के खग गहई॥ जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं। जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं॥1॥ समुद्र में एक राक्षसी… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 3 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 3

Sunderkand Paath Chopai Part 2

Sunderkand Paath Chopai Part 2 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 2

जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥ सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥1॥ देवताओं ने पवनपुत्र हनुमान्‌जी को जाते… Read More »Sunderkand Paath Chopai Part 2 | सुन्दरकाण्ड पाठ चौपाई भाग 2